एक बार एक राजा अपने रंगमहल में सो रहे थे , गहरी नींद में उन्होंने
एक सपना देखा कि महल के बगीचे में किसी पेड़ की एक पत्ती को छोड़कर उसकी सभी
पत्तियाँ गिर चुकी है l सुबह होने पर वह सपना राजा को याद रहा तो उन्होंने
ज्योतिषी को बुलाकर उस सपने के शुभ-अशुभ के बारे में पूछा कि उसका फल क्या होगा ?
एक ज्योतिषी ने स्वप्न का फल बताते हुए कहा – महाराज ! इसका मतलब यह
है कि आपके सामने परिवार के सभी लोगों की मृत्यु हो जाएगी l यह सुनकर राजा क्रोधित
हो गये तथा उस ज्योतिषी को मृत्युदंड का हुक्म दे दिया l संयोग से उस दरबार में एक
दूसरा ज्योतिषी भी था , वह तुरंत खड़े हो सामने आकर बोला – महाराज मैं स्वप्न का फल
बताना चाहूँगा l राजा ने तुरंत कहा – ठीक है आप बताइये l
दूसरे ज्योतिषी ने स्वप्न के फल का विचार करते हुए बताया – महाराज !
इसका अर्थ बिलकुल स्पष्ट है , आप अपने परिवार में सबसे ज्यादा समय तक जीवित रहेंगे
l
उस ज्योतिषी की बातों से राजा बहुत खुश हुए और उससे
अपनी इच्छा अनुसार चीजें माँगने को कहा l
तब दूसरे ज्योतिषी ने कहा – महाराज ! यदि आप मुझे कुछ देना चाहते हैं
तो मैं चाहता हूँ कि आप पहले ज्योतिषी की सजा माफ़ कर दे l वह निर्दोष है l ऐसा
सुनकर राजा को आश्चर्य हुआ कि पहला ज्योतिषी निर्दोष कैसे है ? एक ही स्वप्न का फल
अलग-अलग कैसे हो सकता है ?
दूसरे ज्योतिषी ने अपनी बातों को स्पष्ट करते हुए बताया कि महाराज हम
दोनों ने एक ही बात आपको बताई है l अंतर केवल शब्दों का है l उन्होंने आपके सामने
आपके सारे परिवार के मरने की बात कही , जबकि मैंने भी वही कहा कि आप अपने परिवार
में सबसे ज्यादा दिन तक जीवित रहेंगे l दोनों का अर्थ एक ही है l तब बादशाह को बात
समझ में आ गई कि शब्दों के अर्थ समान होते हुए भी कठोर शब्द किसी की मृत्यु का
कारण बन सकता है . जबकि वैसा ही पर्याय रखने वाला कर्णप्रिय शब्द किसी की जान बचा
सकता है l
अनमोल वचन – सत्य बोले , प्रिय बोले , अप्रिय सत्य कभी न बोले
l
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