अगले दिन उसने सारी बात एक बड़े बुजुर्ग को बताई तो बुजुर्ग ने पहले हँसा फिर उसे समझाते हुए कहा - तुमने दस जगह दस-दस हाथ गड्ढा खोदकर एक सौ हाथ गड्ढा खोद डाला l यदि तुम अलग-अलग न खोदकर एक ही स्थान पर गड्ढा खोदते रहते तो इतना खोदना भी नहीं पड़ता और तुम्हें पानी भी अवश्य ही मिल जाता l वास्तव में तुमने धैर्य से काम नहीं लिया l थोड़ा-थोड़ा खोदकर अपना निर्णय बदल लिया l मेरी मानो , आज तुम एकाग्रता और धैर्य से एक ही स्थान पर गड्ढा खोदो और जब तक पानी न मिले तब तक खोदना जारी रखो l
उस बुजुर्ग की बात मानकर धर्मी ने आज पुनः गड्ढा खोदना शुरू किया l और , पचीस हाथ खोदने के बाद ही उसे पानी मिल गया l
इसलिए , मनुष्य कोई भी काम यदि धैर्य और एकाग्रता से करे तो उसे सफलता अवश्य ही मिलती है l
अनमोल वचन - "कार्य कितना बड़ा हो , मनुष्य उसे करना चाहता हो तो सिंह की तरह दृढ निश्चय के साथ आरम्भ करे और पूरा करके छोड़े l"
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